कब है गणगौर व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त ?
31 मार्च को गणगौर व्रत किया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 31 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगी और तिथि का समापन अगले दिन यानी 01 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 42 मिनट पर होगा।
गणगौर पर्व: माता गौरी की भक्ति और सुहाग का प्रतीक
गणगौर भारत के सबसे रंगीन और हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व माँ गौरी (पार्वती) और भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और वैवाहिक सुख-समृद्धि का प्रतीक है। विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएँ अच्छे पति की प्राप्ति के लिए माँ गौरी की पूजा करती हैं।
गणगौर पर्व का महत्व
- यह पर्व माँ गौरी, जो भगवान शिव की पत्नी हैं, को समर्पित है। माँ गौरी प्रेम, शक्ति और वैवाहिक सुख की प्रतीक मानी जाती हैं।
- विवाहित महिलाएँ अपने सुहाग की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
- कुंवारी कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए माँ गौरी की आराधना करती हैं।
- यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन और कृषि समृद्धि से भी जुड़ा हुआ है।
गणगौर कब मनाया जाता है?
गणगौर पर्व चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है, जो होली के अगले दिन से शुरू होता है। यह 16 दिनों तक चलता है और शुक्ल पक्ष की तृतीया को इसका समापन होता है। तिथि प्रतिवर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार बदलती रहती है।
गणगौर पूजा विधि और परंपराएँ
यह पर्व कई धार्मिक अनुष्ठानों, व्रतों और पारंपरिक पूजा-पद्धतियों से भरपूर होता है। आइए जानते हैं कि गणगौर पूजा कैसे की जाती है:
1. माँ गौरी की स्थापना और पूजा
- महिलाएँ घर में मिट्टी की गणगौर और ईसर (शिव) की प्रतिमा स्थापित करती हैं।
- इन मूर्तियों को सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है।
2. व्रत और प्रार्थना
- महिलाएँ 16 दिनों तक उपवास रखती हैं, जिसमें दिनभर फलाहार या केवल एक समय भोजन किया जाता है।
- माँ गौरी को फल, मिठाई और हल्दी-कुमकुम अर्पित किया जाता है।
- भक्त गणगौर के पारंपरिक गीत गाते हैं और श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।
3. मेहंदी और साज-सज्जा
- महिलाएँ अपने हाथों में मेहंदी (हिना) लगाती हैं, जिसे शुभ माना जाता है।
- वे घाघरा-चोली, लहंगा और पारंपरिक गहनों से खुद को सजाती हैं।
4. भव्य गणगौर यात्रा
- अंतिम दिन, गणगौर माता की शोभायात्रा निकाली जाती है।
- इस अवसर पर लोक नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होती हैं।
- जयपुर और उदयपुर में यह यात्रा शाही अंदाज में निकाली जाती है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।
5. मूर्ति विसर्जन (गणगौर विसर्जन)
- गणगौर के अंतिम दिन, गौरी और ईसर की मूर्तियों का जल में विसर्जन किया जाता है।
- महिलाएँ माँ गौरी से सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं।
राजस्थान में गणगौर उत्सव
राजस्थान में गणगौर पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यहाँ कुछ प्रसिद्ध स्थान हैं जहाँ यह पर्व विशेष रूप से भव्य रूप में मनाया जाता है:
- जयपुर: यहाँ गणगौर की राजसी सवारी निकलती है, जो सिटी पैलेस से शुरू होती है।
- उदयपुर: पिछोला झील में गणगौर विसर्जन का नज़ारा बेहद मनमोहक होता है।
- जोधपुर और बीकानेर: यहाँ पारंपरिक मेले, लोक नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व
गणगौर पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इस दौरान:
- राजस्थानी व्यंजन और मिठाइयाँ जैसे घेवर, मालपुआ, और खीर बनाई जाती हैं।
- गणगौर थीम पर आधारित हस्तशिल्प, आभूषण और पारंपरिक परिधान बाजारों में उपलब्ध होते हैं।
- ऊँट और हाथी की सवारी, लोक संगीत और नृत्य कार्यक्रम पर्यटकों को खासा आकर्षित करते हैं।
निष्कर्ष
गणगौर पर्व श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम है। यह न केवल वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने की कामना के लिए मनाया जाता है, बल्कि राजस्थानी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है। चाहे आप श्रद्धालु हों या पर्यटक, गणगौर का अनुभव निश्चित रूप से एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आनंद से भरपूर होता है।
गणगौर पर्व से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: गणगौर पर्व कौन मनाता है?
उत्तर: यह पर्व मुख्य रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाएँ राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मनाती हैं।
प्रश्न 2: गणगौर व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: यह व्रत वैवाहिक सुख, पति की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन के लिए रखा जाता है।
प्रश्न 3: गणगौर का सबसे प्रसिद्ध आयोजन कहाँ होता है?
उत्तर: जयपुर, उदयपुर और जोधपुर में गणगौर का सबसे भव्य आयोजन होता है।
प्रश्न 4: गणगौर पर्व पर कौन-कौन से विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?
उत्तर: घेवर, मालपुआ, खीर और पूरी-सब्जी जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न 5: क्या पर्यटक गणगौर उत्सव में भाग ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ! राजस्थान में गणगौर के दौरान शाही सवारी, मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पर्यटक भी हिस्सा ले सकते हैं।